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Pipal Ki Jad पीपल जड़ Pipal Jad (Pipal Root)

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Pipal Ki Jad पीपल जड़ Pipal Jad (Pipal Root)

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पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इसकी जड़ को धारण करना एवं घर के मुख्य द्वार पर बांधने से घर में सकारात्मकता आती है सभी ग्रह दोष शांत होते हैं।

Description

  • पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इसकी जड़ को धारण करना एवं घर के मुख्य द्वार पर बांधने से घर में सकारात्मकता आती है सभी ग्रह दोष शांत होते हैं।
  • इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है और ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है।
  • शुक्रवार को पीपल की जड़ बांधने से घर की दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।
  • हाथ में पीपल की जड़ पहनना शुभ माना जाता है।
  • पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर में लाकर छिड़कने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
  • किसी मंदिर में पीपल का एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष शांत हो जाते हैं।
  • पीपल के पेड़ की जड़ को घर के मुख्य द्वार पर बांधने से धन बाधित करने वाले दोषों को भी दूर किया जा सकता है। अगर घर के मुख्य द्वार पर पीपल की जड़ को शुक्रवार के दिन बांधा जाए तो इससे घर की दरिद्रता दूर होती है और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत बनती है। तंगी, कर्ज, आखिक खर्च आदि से छुटकारा मिल जाता है।
  • इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार पर पीपल के पेड़ की जड़ बांधने से घर का वास्तु दोष भी दूर हो जाता है। अगर आपका घर या घर की कोई भी वस्तु उचित स्थान या उचित दिशा में नहीं है तो उससे पैदा होने वाला वास्तु दोष अपने आप खत्म हो जाएगा। साथ ही, ग्रह दोष से भी छुटकारा मिल जाएगा।
  • ज्योतिष शास्त्र कहता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। ऐसे में अगर पीपल के पेड़ की जड़ को घर के मुख्य द्वार पर बांधा जाए तो इससे घर के मुख्य द्वार पर दिव्य शक्तियों का संचार होने लगता है। घर के मुख्य द्वार पर सकारात्मकता बढ़ने लगती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह नष्ट हो जाता है।
  • धारण विधि – शनिवार के दिन पीपल जड़ सुबह पंचामृत – (कच्चा दूध गाय का, दही, शुद्ध घी, मधु एवं चीनी) से धोने के उपरांत गंगा जल से इस जड़ी को पवित्र करें फिर गंध (चंदन/रोड़ी/कुमकुम), अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप एवं नवेद (प्रसाद) से पूजन करें एवम मंत्र (“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”) मंत्र का 108 बार जाप कर जड़ी को पीले कपड़े में लपेटकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधे।
  • पीपल जड़ Pipal Jad (Pipal Root)
  • पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इसकी जड़ को धारण करना एवं घर के मुख्य द्वार पर बांधने से घर में सकारात्मकता आती है सभी ग्रह दोष शांत होते हैं।
  • इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है और ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है।
  • शुक्रवार को पीपल की जड़ बांधने से घर की दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।
  • हाथ में पीपल की जड़ पहनना शुभ माना जाता है।
  • पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर में लाकर छिड़कने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
  • किसी मंदिर में पीपल का एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष शांत हो जाते हैं।
  • पीपल के पेड़ की जड़ को घर के मुख्य द्वार पर बांधने से धन बाधित करने वाले दोषों को भी दूर किया जा सकता है। अगर घर के मुख्य द्वार पर पीपल की जड़ को शुक्रवार के दिन बांधा जाए तो इससे घर की दरिद्रता दूर होती है और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत बनती है। तंगी, कर्ज, आखिक खर्च आदि से छुटकारा मिल जाता है।
  • इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार पर पीपल के पेड़ की जड़ बांधने से घर का वास्तु दोष भी दूर हो जाता है। अगर आपका घर या घर की कोई भी वस्तु उचित स्थान या उचित दिशा में नहीं है तो उससे पैदा होने वाला वास्तु दोष अपने आप खत्म हो जाएगा। साथ ही, ग्रह दोष से भी छुटकारा मिल जाएगा।
  • ज्योतिष शास्त्र कहता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। ऐसे में अगर पीपल के पेड़ की जड़ को घर के मुख्य द्वार पर बांधा जाए तो इससे घर के मुख्य द्वार पर दिव्य शक्तियों का संचार होने लगता है। घर के मुख्य द्वार पर सकारात्मकता बढ़ने लगती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह नष्ट हो जाता है।
  • धारण विधि – शनिवार के दिन पीपल जड़ सुबह पंचामृत – (कच्चा दूध गाय का, दही, शुद्ध घी, मधु एवं चीनी) से धोने के उपरांत गंगा जल से इस जड़ी को पवित्र करें फिर गंध (चंदन/रोड़ी/कुमकुम), अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप एवं नवेद (प्रसाद) से पूजन करें एवम मंत्र (“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”) मंत्र का 108 बार जाप कर जड़ी को पीले कपड़े में लपेटकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधे।
  • भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं। पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत: मूर्तिमान स्वरूप है।
  • भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ। स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।
  • पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्र में पीपल की प्रार्थना का मंत्र भी दिया गया है।
  • प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज में अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनक द्वारा इसके महत्त्व का वर्णन किया गया है। अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है।
  • श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापर युग में परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। यज्ञ में प्रयुक्त किए जाने वाले ‘उपभृत पात्र’ (दूर्वी, स्त्रुआ आदि) पीपल-काष्ट से ही बनाए जाते हैं।
  • पवित्रता की दृष्टि से यज्ञ में उपयोग की जाने वाली समिधाएं भी आम या पीपल की ही होती हैं। यज्ञ में अग्नि स्थापना के लिए ऋषिगण पीपल के काष्ठ और शमी की लकड़ी की रगड़ से अग्नि प्रज्वलित किया करते थे। ग्रामीण संस्कृति में आज भी लोग पीपल की नयी कोपलों में निहित जीवनदायी गुणों का सेवन कर उम्र के अंतिम पडाव में भी सेहतमंद बने रहते हैं।

 

पीपल जड़ (Pipal Ki Jad) – ज्योतिषीय और सामान्य लाभ

पीपल का वृक्ष (Ficus religiosa), जिसे सार्वजनिक बड़ और संगठित बड़ भी कहा जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण और पवित्र वृक्ष है। इसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में अत्यधिक सम्मानित किया जाता है। पीपल के जड़ (Pipal Ki Jad) का उपयोग न केवल आयुर्वेद में बल्कि ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष महत्व रखता है। इसके जड़ को अलग-अलग उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि तंत्र-मंत्र, ग्रहों के दोष निवारण, और स्वास्थ्य लाभ के लिए।

यहाँ हम पीपल की जड़ के ज्योतिषीय और सामान्य लाभों पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।


ज्योतिषीय महत्व:

1. ग्रहों के दोष निवारण में मदद:

  • पीपल की जड़ को विशेष रूप से शनि दोष (Shani Dosh), मंगल दोष (Mangal Dosh), और बुध दोष (Budh Dosh) के निवारण में इस्तेमाल किया जाता है। यह शनि ग्रह के प्रभाव को कम करने और जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए लाभकारी मानी जाती है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति खराब है, तो पीपल की जड़ को घर में रखने या पूजा करने से शनि के कष्ट कम हो सकते हैं।
  • मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए भी पीपल की जड़ का उपयोग किया जाता है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है जिनकी कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति हो।

2. मानसिक शांति और शुद्धि:

  • पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है, जो कि पोषक और संरक्षण के देवता हैं। पीपल की जड़ का उपयोग मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए किया जाता है।
  • इस जड़ का धार्मिक कार्यों में, विशेष रूप से पूजा-पाठ और विष्णु पूजन में महत्व है। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के साथ-साथ दोष और विपत्तियों को दूर करने में सहायक होती है।

3. पीपल जड़ से तंत्र-मंत्र और वशीकरण:

  • पीपल की जड़ का उपयोग तंत्र-मंत्र के कार्यों में भी किया जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, मनोबल बढ़ाने, और प्रभावी वशीकरण के लिए उपयोगी है।
  • पीपल की जड़ को वशीकरण या मनचाहे कार्य में सफलता पाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

सामान्य स्वास्थ्य लाभ (Ayurvedic Benefits):

1. रक्त शुद्धिकरण (Blood Purification):

  • पीपल की जड़ का उपयोग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। यह रक्त शुद्धिकरण में मदद करती है और शरीर की सफाई करती है। यह त्वचा की समस्याओं, जैसे एक्ने और राश को कम करने में मदद करती है।

2. पाचन तंत्र को सुधारना:

  • पीपल की जड़ का उपयोग पाचन संबंधी समस्याओं जैसे अपचगैस और कब्ज को दूर करने के लिए किया जाता है। यह पेट के विकारों को दूर करने के साथ-साथ आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

3. जोड़ो और हड्डियों के दर्द में राहत:

  • पीपल की जड़ का उपयोग जोड़ो के दर्द, गठिया और हड्डियों के दर्द में राहत दिलाने के लिए किया जाता है। यह सूजन कम करने और दर्द निवारण में प्रभावी है।

4. त्वचा संबंधी समस्याओं का इलाज:

  • पीपल की जड़ में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमणरैश, और एक्ने जैसी समस्याओं में मदद करते हैं।
  • पीपल की जड़ का पेस्ट बनाने और उसे त्वचा पर लगाने से त्वचा पर होने वाली जलनरैश और सूजन को कम किया जा सकता है।

5. मानसिक शांति और तनाव में कमी:

  • पीपल की जड़ मानसिक शांति और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए उपयोगी मानी जाती है। यह तनावचिंता और अवसाद को कम करने में मदद करती है और मानसिक स्थिति को शांत और स्थिर रखती है।

6. श्वसन तंत्र को सुधारना:

  • पीपल की जड़ का सेवन सांस संबंधी समस्याओं जैसे दमाखांसी और सर्दी में आराम देता है। यह श्वसन नलिका को खोलने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

पीपल की जड़ का उपयोग कैसे करें:

1. पाउडर के रूप में:

  • पीपल की जड़ को सूखा कर उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को 1-2 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह-शाम लेने से पाचन संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
  • इसे शहद के साथ लेने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है।

2. जड़ का पेस्ट:

  • पीपल की जड़ का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से मुंहासेरैश और साइनस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
  • जोड़ों के दर्द में भी जड़ का पेस्ट लगाने से आराम मिलता है।

3. काढ़ा या चाय:

  • पीपल की जड़ का काढ़ा बनाकर उसका सेवन खांसी और सर्दी में किया जा सकता है। इसे एक कप पानी में उबालकर, शहद और अदरक मिला कर पीने से राहत मिलती है।

4. धार्मिक पूजा में उपयोग:

  • पीपल की जड़ को पूजा स्थल पर रखा जाता है या इसे विष्णु पूजा में उपयोग किया जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के साथ-साथ दुष्ट ग्रहों के प्रभाव को दूर करता है।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. अधिक मात्रा में प्रयोग से बचें, क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  2. यदि आप दवा ले रहे हैं, तो पीपल की जड़ का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें
  3. पीपल की जड़ का पेस्ट त्वचा पर लगाने से पहले पैच टेस्ट कर लें ताकि कोई एलर्जी न हो।
  4. गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पीपल की जड़ का उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।

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