Description
-
Kush Jad (कुश जड़) Kush Root (केतु ग्रह) Ketu Planet
- कुश को दर्भ और पवित्रम के नाम से भी जाना जाता है।
- कुश घास का इस्तेमाल पूजा-पाठ, श्राद्ध, और अन्य धार्मिक कामों में किया जाता है।
- केतु को अध्यात्म और मोक्ष का कारक माना गया है।
- कुश की जड़ में केतु देव का वाश होता हैं। इस दिव्य जड़ी को विधिवत् धारण करने से केतु ग्रह जनित सभी दोषों को समन होता हैं एवं केतु ग्रह का आशीष मिलता हैं।
- धनदायक कुश मूल – कुश की “जड़” को धन प्रदायनी कहा गया है। रवि पुष्य योग या रविपुष्य योग में जाकर कुश की जड़ लाकर कुश मूल की साधना की जाती है, सिद्ध करने के पश्चात कुश मूल को किसी लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी या भण्डार गृह में रख दें, और प्रति दिन धूप दीप के द्वारा पूजन करते रहें। यह प्रयोग धन-धान्य बढ़ाने वाला कहा गया है।
- भावप्रकाश के मतानुसार कुश त्रिदोषघ्न और शैत्य-गुण-विशिष्ट है। उसकी जड़ से मूत्रकृच्छ, अश्मरी, तृष्णा, वस्ति और प्रदर रोग को लाभ होता है।
- गरुड़ जी अपनी माता की दासत्व से मुक्ति के लिए स्वर्ग से अमृत कलश लाये थे, उसको उन्होंने कुशों पर रखा था। अमृत का संसर्ग होने से कुश को पवित्री कहा जाता है। (महाभारत आदिपर्व के अध्याय 23 का 24 वां श्लोक) मान्यता है कि जब किसी भी जातक के जन्म कुंडली या लग्न कुण्डली में राहु/केतु महादशा की आती है तो कुश के पानी मे ड़ालकर स्नान करने से राहु/केतु की कृपा प्राप्त होती है।
- “नास्य केशान् प्रवपन्ति, नोरसि ताडमानते” – (देवी भागवत 19/32) अर्थात कुश धारण करने से सिर के बाल नहीं झडते और छाती में आघात यानी दिल का दौरा नहीं होता। उल्लेखनीय है कि वेद ने कुश को तत्काल फल देने वाली औषधि, आयु की वृद्धि करने वाला और दूषित वातावरण को पवित्र करके संक्रमण फैलने से रोकने वाला बताया है।

Madar ki jad (Money attraction)
Shami Ki jad (Shani Grah ke liye) 
Reviews
There are no reviews yet.