Ankur Ji

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Gular ki jad (Shukra grah ke liye)

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Gular ki jad (Shukra grah ke liye)

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ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, गूलर की जड़ को बहुत शुभ माना जाता है। गूलर जड़ी का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य, वैभव, और लग्ज़री लाइफ़ का कारक माना जाता है इसलिए, गूलर की जड़ को धारण करने से कई फ़ायदे हैं। शुक्र ग्रह का रत्न हीरा है।

Description

ज्योतिष के अनुसार, गूलर की जड़ को शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है, धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। AnkurJi के अनुसार, यह भी माना जाता है कि गूलर की जड़ को धारण करने से गुप्त रोगों से छुटकारा मिलता है। 

गूलर की जड़ के फायदे:
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम:

    गूलर की जड़ को धारण करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और आपसी समझ बढ़ती है। 

  • धन-संपत्ति में वृद्धि:

    यह माना जाता है कि गूलर की जड़ को धारण करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। 

  • भौतिक सुखों की प्राप्ति:

    गूलर की जड़ को धारण करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

  • गुप्त रोगों से छुटकारा:

    गूलर की जड़ को धारण करने से गुप्त रोगों से छुटकारा मिलता है। 

गूलर की जड़ को धारण करने के उपाय:
  • वृष, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न के जातक:

    गूलर की जड़ को वृष, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न के जातक धारण कर सकते हैं। 

  • शुक्र ग्रह उच्च का होने पर:

    यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह उच्च का है तो वह भी गूलर की जड़ को धारण कर सकता है। 

  • शुक्रवार के दिन:

    गूलर की जड़ को शुक्रवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। 

  • चांदी के ताबीज में:

    गूलर की जड़ को चांदी के ताबीज में भरकर धारण करने से बुरी नजर से भी बचाव होता है। 

अतिरिक्त जानकारी:
  • गूलर का पेड़ शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। 
  • गूलर के पेड़ में कुबेर देव का भी वास माना जाता है। 
  • गूलर के पेड़ को रोजाना जल अर्पित करने और दीपक लगाने से भी शुक्र ग्रह की कृपा मिलती है। 
  • गूलर की जड़ को हीरा के समान ही शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए माना जाता है। 
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष में विश्वास व्यक्तिगत होता है, और इन उपायों का प्रभाव व्यक्ति के भाग्य पर निर्भर करता है
ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, गूलर की जड़ को बहुत शुभ माना जाता है। गूलर जड़ी का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य, वैभव, और लग्ज़री लाइफ़ का कारक माना जाता है इसलिए, गूलर की जड़ को धारण करने से कई फ़ायदे हैं। शुक्र ग्रह का रत्न हीरा है।
  • गुलर जड़ Gular Jad (शुक्र ग्रह) Venus Planet (Gular Root)

  • ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, गूलर की जड़ को बहुत शुभ माना जाता है। गूलर जड़ी का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य, वैभव, और लग्ज़री लाइफ़ का कारक माना जाता है इसलिए, गूलर की जड़ को धारण करने से कई फ़ायदे हैं।
  • शुक्र ग्रह का रत्न हीरा है। यदि कोई व्यक्ति हीरा धारण नहीं कर पा रहा तो वह गूलर की जड़ को अपने हाथ में धारण कर सकता है। इसकी जड़ हाथ में बांधने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
  • ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, गूलर वृक्ष शुक्र का प्रतिनिधि वृक्ष है। इसमें नियमित रूप से जल अर्पित एवं जड़ी धारण करने से शुक्र की अनुकूलता प्राप्त होती है।
  • शुक्र भौतिक सुख-सुविधाओं, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, लावण्य, यौन सुख, प्रेम विवाह आदि का प्रतिनिधि ग्रह है।
  • इसलिए शुक्र को अनुकूल बनाने के लिए गूलर के वृक्ष के जड़ को धारण करना महत्वपूर्ण है। जन्मकुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में हो तो गूलर जड़ के प्रयोग से शुक्र की पीड़ा को शांत किया जा सकता है।
  • इसे पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में ले आएं एवं इसे चांदी के लॉकेट में या चांदी की चेन में शुक्रवार को धारण करे इससे आपकी शुक्र सम्बंधित समस्याएं दूर होंगी।
  • इसे चांदी के लॉकेट में या चांदी की चेन में शुक्रवार को धारण करें इससे वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। गुप्त रोगों से मुक्ति मिलती है। भौतिक सुखों की प्राप्ति एवं सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  • कला, मीडिया, फ़िल्म, या फ़ैशन से जुड़े लोगों के लिए ये जड़ बेहद ही शुभ साबित होता है। धन-संपदा एवं मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं।
  • आर्थिक संपन्न्ता, धन प्राप्ति, भूमि-भवन खरीदने की इच्छा है, तो गूलर की जड़ चांदी के ताबीज में भरकर धारण करें।
  • शुक्र ग्रह की कृपा पाने के लिए गूलर की जड़ को सफ़ेद कपड़े में शुक्रवार के दिन धारण करें।
  • धारण विधि – शुक्रवार के दिन गुलर की जड़ को सुबह पंचामृत – (कच्चा दूध गाय का, दही, शुद्ध घी, मधु एवं चीनी) से धोने के उपरांत गंगा जल से इस जड़ी को पवित्र करें फिर गंध (चंदन/रोड़ी/कुमकुम), अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप एवं नवेद (प्रसाद) से पूजन करें एवम शुक्र मंत्र (“ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः”) मंत्र का 108 बार जाप कर जड़ी को सफेद कपड़े में लपेटकर अपनी दाहिनी भुजा में बाँध लें।

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