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नागरमोथा की जड़, राहु ग्रह (Rahu Planet) Nagar Motha ki jad (Nagar Motha Root)

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नागरमोथा की जड़, राहु ग्रह (Rahu Planet) Nagar Motha ki jad (Nagar Motha Root)

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  • नागरमोथा की जड़ में राहु देव का वाश होता हैं, नागरमोथा की जड़ को धारण करने से राहु ग्रह संबंधित दोष दूर होते हैं एवं राहु देव की कृपा मिलती हैं।

Description

  • नागरमोथा की जड़ में राहु देव का वाश होता हैं, नागरमोथा की जड़ को धारण करने से राहु ग्रह संबंधित दोष दूर होते हैं एवं राहु देव की कृपा मिलती हैं।
  • इससे मानसिक तनाव एवं पुरानो रोगों से मुक्ति मिलती है। यदि जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो इस जड़ को धारण करने से यह दोष शांत होता है। नागरमोथा की जड़ व्यक्ति में साहस बढती है और राह में आने वाली कठिनाई को दूर करती है।
  • नागरमोथा की जड़ को धारण करने से साहस बढ़ता है और राह में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं। शनिवार के दिन इस दिव्य जड़ी नागरमोथा की जड़ को धारण करें।
  • इसे पुष्य नक्षत्र में ले आएं और बुधवार को नीले धागे में गले में धारण करें।
  • मानसिक तनाव, शारीरिक रोग और काल सर्प दोष से बचने तथा नौकरी से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए नागरमोथा की जड़ वरदान साबित होती है।
  • धारण विधि – शनिवार के दिन नागरमोथा की जड़ को सुबह पंचामृत – (कच्चा दूध गाय का, दही, शुद्ध घी, मधु एवं चीनी) से धोने के उपरांत गंगा जल से इस जड़ी को पवित्र करें फिर गंध (चंदन/रोड़ी/कुमकुम), अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप एवं नवेद (प्रसाद) से पूजन करें एवम राहु मंत्र (“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”) मंत्र का 108 बार जाप कर जड़ को सफेद कपड़े में लपेटकर अपनी दाहिने हाथ की बाजू में बाँध लें।

नागर्मोथा की जड़ (Nagarmotha Ki Jad) – ज्योतिषीय और सामान्य लाभ

नागर्मोथा (जिसे मथा या साइपरस रोटंडस के नाम से भी जाना जाता है) एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेदतंत्र-मंत्र और ज्योतिष में बहुतायत से किया जाता है। नागर्मोथा की जड़ के कई स्वास्थ्य लाभ और ज्योतिषीय महत्व हैं, जो इसे एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन बनाते हैं। यह जड़ न केवल शारीरिक उपचार में मदद करती है, बल्कि ग्रहों के दोषों को शांत करने और मानसिक शांति के लिए भी उपयोगी मानी जाती है।

यहां हम नागर्मोथा की जड़ के ज्योतिषीयस्वास्थ्य संबंधी, और धार्मिक लाभों पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।


ज्योतिषीय महत्व:

1. मंगल (Mangal) के प्रभाव को कम करना:

  • नागर्मोथा को मंगल ग्रह से संबंधित माना जाता है, जो कि ऊर्जा, कार्य क्षमता, साहस और आक्रामकता का प्रतिनिधित्व करता है। यदि मंगल ग्रह की स्थिति किसी की कुंडली में कमजोर है या अशुभ है, तो नागर्मोथा की जड़ का उपयोग उस प्रभाव को शांत करने के लिए किया जाता है।
  • यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अत्यधिक आक्रामकता, क्रोध, या असंतुलित मानसिकता का सामना करते हैं। नागर्मोथा मंगल दोष को ठीक करने में मदद करता है और आक्रामकता को नियंत्रण में रखता है।

2. राहु और केतु (Rahu and Ketu) के प्रभाव को शांत करना:

  • नागर्मोथा की जड़ का उपयोग राहु और केतु के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए भी किया जाता है। ये ग्रह मानसिक भ्रम, भ्रम और आत्म-संघर्ष का कारण बन सकते हैं।
  • नागर्मोथा की जड़ से विशेष रूप से उन व्यक्तियों को लाभ मिलता है जिनकी कुंडली में राहु-केतु की स्थिति दुर्बल या अशुभ हो। यह कर्म दोष को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करती है।

3. ग्रहों के दोषों को शांत करना:

  • यदि किसी की कुंडली में दोषपूर्ण ग्रहों का प्रभाव है, तो नागर्मोथा की जड़ का सेवन या इसका पूजन करने से उन दोषों को कम किया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में शनिमंगल, या राहु-केतु के प्रभाव से समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
  • पीपलवट या बड़ के वृक्ष के पास नागर्मोथा की जड़ रखकर या उसे पूजा के दौरान उपयोग करके नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

4. मानसिक शांति और ध्यान:

  • नागर्मोथा मानसिक शांति और ध्यान की प्राप्ति में मदद करता है। इसे पूजा या ध्यान के समय प्रयोग में लाने से मानसिक स्थिरता और सकारात्मकता प्राप्त होती है। यह मानसिक दबावचिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है।

स्वास्थ्य लाभ:

1. पाचन तंत्र को सुधारना:

  • नागर्मोथा की जड़ पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह अपचगैसकब्ज, और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।
  • इसका सेवन पाचन प्रणाली को सुदृढ़ करता है, जिससे शरीर के अपशिष्ट पदार्थ सही तरीके से बाहर निकलते हैं और पेट संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।

2. एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण:

  • नागर्मोथा में एंटी-बैक्टीरियलएंटी-फंगल, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह त्वचा से संबंधित समस्याओं जैसे मुंहासेघाव, और रैश के इलाज में सहायक है।
  • यह त्वचा को साफ करने के साथ-साथ घावों को जल्दी ठीक करने में भी मदद करता है। नागर्मोथा की जड़ का पेस्ट लगाने से त्वचा की सूजन और जलन कम होती है।

3. मानसिक तनाव और चिंता में कमी:

  • नागर्मोथा मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। यह स्मृति और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।
  • इस जड़ का सेवन चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में भी सहायक है। यह शरीर को मानसिक दबाव से मुक्त करता है।

4. शरीर से विषाक्त पदार्थों का उन्मूलन:

  • नागर्मोथा एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह लिवर और किडनी की सफाई करता है, जिससे शरीर का संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • यह शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखता है और पानी की अधिकता को दूर करता है।

5. श्वसन तंत्र को लाभ:

  • नागर्मोथा का उपयोग खांसीसर्दीब्रोंकाइटिस, और दमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं में किया जाता है। यह सांस की नलिकाओं को खोलने में मदद करता है और कफ को बाहर निकालने में सहायक है।
  • इसके सेवन से श्वसन तंत्र मजबूत होता है और सांस लेने में आसानी होती है।

6. दर्द और सूजन में राहत:

  • नागर्मोथा में दर्द निवारक और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं। यह गठिया, जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक है।
  • इसका पेस्ट बनाकर जोड़ों या सूजन वाले हिस्से पर लगाने से राहत मिलती है।

7. त्वचा की देखभाल:

  • नागर्मोथा की जड़ में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं। यह मुंहासे, त्वचा की जलन, और काले धब्बों को कम करने में सहायक है।
  • यह त्वचा की प्राकृतिक चमक को बढ़ाता है और त्वचा के रोमछिद्रों को साफ करता है।

नागर्मोथा की जड़ का उपयोग कैसे करें:

1. नागर्मोथा पाउडर:

  • नागर्मोथा की जड़ को सुखाकर पाउडर बना लें। 1-2 ग्राम पाउडर को गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें। यह पाचन और तनाव के इलाज में सहायक है।
  • त्वचा पर मुंहासे और रैश के लिए इसका पेस्ट बनाकर लगाने से लाभ मिलता है।

2. नागर्मोथा का काढ़ा:

  • नागर्मोथा की जड़ को उबालकर उसका काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को पीने से सर्दीखांसी, और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
  • इसे दिन में 1-2 बार सेवन करें।

3. नागर्मोथा का तेल:

  • नागर्मोथा का आयल बनाकर या बाजार से खरीदी हुई तेल की बोतल से अपने सिर, गर्दन, या जोड़ों पर हल्के से मसाज करें। इससे मानसिक शांति और दर्द में आराम मिलता है।

4. जल में नागर्मोथा का उपयोग:

  • कुछ सूखी नागर्मोथा की जड़ को पानी में डालकर स्नान में शामिल करें। यह त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है और शरीर को डिटॉक्स करता है।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. प्रेग्नेंसी में: गर्भवती महिलाओं को नागर्मोथा की जड़ का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  2. अधिक मात्रा में सेवन से बचें: इसका अत्यधिक सेवन पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। निर्धारित मात्रा में ही सेवन करें।
  3. एलर्जी की जांच करें: त्वचा पर इसका पेस्ट लगाने से पहले पैच टेस्ट करें ताकि एलर्जी न हो।
  4. मेडिकेशन में सावधानी: यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो नागर्मोथा की जड़ का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

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